सहरसा : सहरसा जिला के सोनवर्षा राज थाना क्षेत्र अन्तर्गत देहद पंचायत के एक पीड़ित महादलित परिवार से सोनवर्षा अंचल के नाजीर के द्वारा नाजायज तरीके से मुआबजा राशि दिलाने के नाम पर अठारह हजार रुपये की ठगी करने का मामला प्रकाश में आया है। इस संबंध में पीड़ित ने सोनवर्षा के विधायक सह पूर्व मंत्री रत्नेश सादा को आवेदन देकर कार्रवाई की मांग किया है। मामला अंचल क्षेत्र के देहद पंचायत अन्तर्गत मोहनपुर गाँव का बताया जा रहा है। मालुम हो कि प्रखंड क्षेत्र के देहद पंचायत में बीते वर्ष नदी के पानी में डूबने से करीब छह साल की एक बच्ची की जान चली गई थी। महादलित परिवार से आने वाले पीड़ित परिवार का सुधि लेने वाला कोई नही है।
परिवार पर दुःख का पहाड़ टुट परा है। लेकिन सिस्टम की लापरवाही ऐसी है कि डूबने वाले लोगों के परिजन मुआवजा राशि के लिए दर – दर भटकने के लिए मजबूर हैं। इसके लिए काफी हद तक अधिकारियों का सुस्त रवैया भी जिम्मेवार है। स्थानीय अंचल मे कर्मियों की भ्रष्टाचार चरम पर है। थक हारकर मृतक बच्ची के पिता गोपाल सादा ने सोनवर्षा के विधायक सह बिहार सरकार के पूर्व मंत्री ( एससी/ एसटी कल्याण विभाग) रत्नेश सादा को आवेदन देकर अंचल नाजीर राजकुमार महतों पर नाजायज तरीके से 18 हजार रुपये मुआबजा राशि दिलाने के नाम पर रिस्वत लेने का गंभीर आरोप लगाया है। हद तो तब हुई कि पांच माह पूर्व सूद पर रुपये उठाकर नाजीर राजकुमार महतों को तो दिया, लेकिन आजतक टाल मटोल मे ही समय बीत गया। अब परिवार की हालात माली हो गई है। सूद वाले महाजन के तगादा से परिवार परेशान है। एक नजर डालें तो हद है एक तरफ नन्ही पड़ी की नदी मे डूबकर मरने की चिंता तो दूसरी तरफ महाजन के बढते सूद की राशि से परिजन विगत ग्यारह महीने से परेशान है। मामला देहद पंचायत के वार्ड 15 मोहनपुर महादलित टोला का बताया जा रहा है। मालुम हो कि बीते वर्ष 10 अप्रैल 2023 को गोपाल सादा की छह वर्षीय पुत्री सुमन कुमारी टोला के अन्य बच्चों के साथ खेलने के क्रम मे नदी किनारे चली गई और इसी दौरान स्नान के क्रम मे डुबने से बच्ची मौत हो गई। आनन फानन मे परिजनों द्वारा बच्ची को किसी तरह निकालकर स्थानीय पीएचसी सोनवर्षा राज ले जाया गया जहाँ मौजूद चिकित्सकों ने बच्ची को मृत घोषित कर दिया। परिजनों पर दु:ख का पहाड़ टुट परा। परिजनों का रोरोकर बुरा हाल था। कानूनी प्रक्रिया अनुसार आवेदन बनाकर मुआवजा के लिए सोनवर्षा अंचल कार्यालय में दिया गया। लेकिन परिजन थक हारकर परेशान हो गया है, लेकिन कोई मदद को तैयार नही है। हर टेबल पर पैसे की मांग से परिजन परेशान है। साथ ही लड़की के पिता गोपाल सादा ने बताया कि जब हम दौड़ते दौड़ते परेशान थे इसी क्रम मे अंचल के नाजीर राजकुमार महतों से मुलाकात हुआ और वो बोले हम काम करवा देंगे, तुमको अठारह हजार रुपये देना होगा।
हम परेशान हो गए और एक तरफ बेटी डुबने का गम दूसरी तरफ पैसा कहाँ से लाए। किसी तरह अपने गाँव में सूद पर महाजन से रुपये लेकर नाजीर राजकुमार महतों को दिए, लेकिन रुपये दिए भी पांच महीनों बीत गया। लेकिन मुझे घटना के ग्यारह महीने बाद तक भी मुआबजा की राशि नही मिल पाया है। महादलित परिवार का ऐसा हालत है कि दो जून की रोटी भी मुश्किल से और मेहनत से मिलता है, लेकिन सरकार की सारे वायदे फेल साबित हो रही है। समाज के अंतिम पायदान पर बैठे लोगों की हालात जस की तस बनी हुई है। आखिर सवाल उठता है ऐसे सिस्टम पर कैसे मिलेगा मुआबजा की चार लाख की राशि। अब देखना है कि भ्रष्टाचार मे लिप्त नाजीर पर क्या कारवाई होती है।